वायु प्रदूषण से मासूमों की आंखों की रोशनी को खतरा, एम्स के डॉक्टरों ने दी चेतावनी

वायु प्रदूषण से मासूमों की आंखों की रोशनी को खतरा, एम्स के डॉक्टरों ने दी चेतावनी

सेहतराग टीम

दिल्ली राज्य में हवा की गुणवत्ता के खराब होने के साथ ही वायु प्रदूषण का खतरा मंडराने लगा है। इसी कारण से एम्स के डॉक्टरों ने आखों की बीमारियों पर आयोजित एक कार्यक्रम में इस बात पर चर्चा की, संस्थान के आरपी सेंटर के डॉक्टरों ने कहा कि प्रदूषण के दुष्प्रभाव से आंखों की रोशनी भी जा सकती है। खासतौर पर बच्चे अंधेपन का शिकार हो सकते हैं। इसलिए एम्स के डॉक्टरों ने लोगों को सचेत रहने और बच्चों का ध्यान रखने की सलाह दी है।

प्रदूषण बढ़ने पर होती है आंखों में जलन-

एम्स के आरपी सेंटर में आंखों की बीमारियों के विशेषज्ञ डॉ. तुषार अग्रवाल ने कहा कि प्रदूषण बढ़ने पर यह देखा गया है कि आंखों में जलन व एलर्जी की समस्या शुरू हो जाती है। ऐसी स्थिति में आंखों को मसलने से परेशानी बढ़ सकती है। बच्चों की आंखों की कॉर्निया कमजोर होती है। इसलिए आंखों को मसलने से कॉर्निया प्रभावित हो सकती है और क्रेटोकोनस नामक बीमारी होने का खतरा रहता है। इस कारण आंखों की रोशनी प्रभावित हो सकती है।

तंबाकू का चूना बच्चों की आंखों की छीन रही रोशनी-

दिल्ली सहित देश में बड़ी संख्या में लोग तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं। यदि कोई तंबाकू का इस्तेमाल करता है और घर में छोटे बच्चे हैं तो चूना संभाल कर रखें। क्योंकि यदि गलती से यह छोटे बच्चों के हाथ लग जाए और कहीं यह आंख में चला गया तो कॉर्निया खराब हो सकती है। बच्चों के लिए यह एक बड़ी समस्या बन रही है। कहा कि तंबाकू इस्तेमाल करने वाले लोग चूना पेस्ट के रूप में रखते हैं।

आंखों में चिपकता है चूना-

यह आंखों में जाने पर चिपक जाता है। चूना में ऐसा रसायन होता है जो कॉर्निया की परत को नुकसान पहुंचाने लगता है। स्थिति इस कदर गंभीर हो जाती है कि आंखों की सर्जरी की जरूरत पड़ जाती है। कई बच्चों को सर्जरी के बाद भी फायदा होने की संभावना नहीं होती।

सफर के आंकड़ों के आधार पर होगी प्रदूषण से जंग-

दिल्ली सरकार अब केंद्र सरकार की संस्था सफर इंडिया के आंकड़ों को आधार बनाकर प्रदूषण से जंग की योजना बनाएगी। इसी के मद्देनजर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री कैलाश गहलोत ने केंद्रीय स्वास्थ्य, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखकर सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के आंकड़े उपलब्ध कराने की मांग की है। गहलोत ने इसके साथ ही सफर द्वारा पराली से होने वाले प्रदूषण को कम बताने वाली जानकारी पर भी सवाल उठाए हैं। डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखकर उन्होंने कहा है कि अगर सफर के पास ऐसी कोई तकनीक है तो हमें सही समय की जानकारी दी जाए, ताकि दिल्ली सरकार प्रदूषण रोकने के लिए ज्यादा प्रभावी कदम उठा सके।

(साभार- दैनिक जागरण)

 

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